गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों, गर्भवती महिलाओं और दिव्यांगों तक से वसूला जा रहा शुल्क, सरकार को घेरा
बिलासपुर
प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में लागू किए गए शुल्कों को लेकर सियासत गर्मा गई है। सदर से विधायक त्रिलोक जमवाल ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि अस्पतालों में पर्ची बनाने से लेकर ईसीजी, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड जैसे जांचों के लिए शुल्क वसूलने का निर्णय अमानवीय और जनविरोधी है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि सुविधाओं में सुधार करने की बजाय अब जनता की जेब पर सीधा वार किया जा रहा है।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि प्रदेश के अस्पतालों में पहले से ही डॉक्टरों और संसाधनों की भारी कमी है। ऐसे में आम मरीजों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कैंसर, किडनी, मानसिक रोगों, टीबी, एचआईवी से पीड़ित मरीजों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, दिव्यांगों और यहां तक कि बाल सुधार गृह के बच्चों तक को नहीं बख्शा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की यह योजना केबिनेट सब-कमेटी की सिफारिश पर लाई गई है और अब मुख्यमंत्री रोगी कल्याण समितियों को ढाल बनाकर इससे पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
“मित्रों की सरकार कर रही जेब पर डाका”
त्रिलोक जमवाल ने कांग्रेस सरकार को 'मित्रों की सरकार' बताते हुए आरोप लगाया कि व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर सत्ता में आई यह सरकार अब आम जनता की जेब पर डाका डालने में जुटी है। उन्होंने कहा कि पहले 10 रुपये की पर्ची के बिना डॉक्टर तक पहुंचना मुश्किल कर दिया गया है, और उसके बाद जांच के लिए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा है।
14 वर्गों की मुफ्त सुविधा की गई खत्म
जमवाल ने बताया कि पहले जिन 14 वर्गों को अस्पतालों में मुफ्त डायग्नोस्टिक सेवाएं दी जा रही थीं, उन्हें अब हटा दिया गया है। इनमें कैंसर व किडनी रोगी, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, टीबी और मानसिक रोगी, दिव्यांग, कैदी, आपदा पीड़ित, एचआईवी पॉजिटिव मरीज व बाल सुधार गृह के बच्चे शामिल हैं।
“पीड़ा में भी वसूली, मरीजों के घावों पर नमक”
विधायक ने कहा कि इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वाला हर मरीज दर्द में होता है और सरकार ने अब उनकी पीड़ा बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा, “सरकार की प्राथमिकता अब मरीजों की मदद करना नहीं, बल्कि उनसे पैसा वसूलना बन गई है। यह फैसला जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।”
केंद्र की फ्री योजनाओं का हवाला
उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ‘फ्री ड्रग पॉलिसी’ और ‘फ्री डायग्नोस्टिक इनिशिएटिव’ जैसी योजनाओं से जनता को राहत देने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर हिमाचल की कांग्रेस सरकार हर कदम पर जनविरोधी फैसले ले रही है।
“तुगलकी फरमान तुरंत वापस ले सरकार”
त्रिलोक जमवाल ने मांग की कि प्रदेश सरकार इस तुगलकी आदेश को तुरंत प्रभाव से वापस ले और रोगी कल्याण समितियों के नाम पर जिम्मेदारी से भागने की कोशिश न करे। उन्होंने चेतावनी दी कि जनता यह अन्याय सहन नहीं करेगी और यदि सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो इसका करारा जवाब जनता देगी।