हेल्पलाइन पर सूचना देने वाले की पहचान रहेगी गुप्त, पुनर्वास और परामर्श की भी सुविधा उपलब्ध: उपयुक्त बिलासपुर राहुल कुमार

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नशे के विरुद्ध अभियान में मानस टोल फ्री नम्बर 1933 पर बनें सहभागीः उपायुक्त बिलासपुर उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में जन-जन की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार ने मानस हेल्पलाइन शुरू की है। इसके तहत नागरिक टोल फ्री नम्बर 1933 पर कॉल कर नशीले पदार्थों की तस्करी, अवैध खेती और इससे जुड़े अपराधों की गोपनीय सूचना दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस हेल्पलाइन पर सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है। साथ ही 1933 नम्बर के माध्यम से नशे से पीड़ित व्यक्तियों को परामर्श और पुनर्वास सेवाएँ भी प्रदान की जा रही हैं। यह प्लेटफार्म नागरिकों को नशीली दवाओं से संबंधित मामलों की रिपोर्ट करने और आवश्यक जानकारी पाने के लिए एक सुरक्षित व एकीकृत डिजिटल माध्यम उपलब्ध करवाता है। हर समय उपलब्ध है सेवा उपायुक्त ने कहा कि मानस हेल्पलाइन सभी दिन, हर समय कार्यरत रहती है। नागरिक इस सेवा का उपयोग न केवल टोल फ्री नम्बर 1933 बल्कि आधिकारिक वेब पोर्टल www.ncbmanas.gov.in, ई-मेल info.ncbmanas@gov.in और उमंग ऐप के जरिए भी कर सकते हैं। नशा एक गंभीर...

झंडूता में फिर गूंजे कुल्हाड़ी के वार, खैर कटान पर नहीं लग रही लगाम



बिलासपुर

 झंडूता विधानसभा क्षेत्र की पंचायत बलसीना के कथयून गांव में अवैध खैर कटान लगातार जारी है। वन माफिया बेखौफ होकर जंगलों को उजाड़ रहे हैं, जबकि वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। स्थानीय लोगों ने जब इस अवैध कटान की सूचना वन विभाग को दी, तब जाकर विभाग हरकत में आया। लेकिन एक बार फिर खैर के 3-4 पेड़ काट लिए गए और विभाग के हाथ कोई आरोपी नहीं लगा। लेकिन विभाग ने 35 पीस वन से बरामद कर दिए हैं।



 पहले भी हो चुका है अवैध कटान
स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे पहले भी इसी स्थान पर अवैध रूप से खैर के पेड़ों की कटाई हो चुकी है। वन विभाग ने गश्त बढ़ाने का दावा किया था, लेकिन फिर भी वन माफियाओं ने बेखौफ होकर फिर से कटान कर दिया।

वन विभाग ने भेजी टीम, गश्त बढ़ाई गई
वन विभाग के डीएफओ संजीव ने जानकारी दी कि सूचना मिलते ही विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया और कुछ अवैध रूप से काटी गई लकड़ी भी बरामद की गई है। इसके साथ ही, रात्रि गश्त भी बढ़ा दी गई है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।



वन माफियाओं पर कब लगेगी लगाम?
अवैध कटान केवल पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि यह वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है। जब पहले से ही इस इलाके में अवैध कटान की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, तो इसके बावजूद वन माफियाओं को पकड़ने में विभाग की नाकामी चिंताजनक है।

स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि विभाग जल्द ही प्रभावी कदम नहीं उठाता, तो यह वन माफिया और अधिक सक्रिय हो जाएंगे। अब देखना यह होगा कि वन विभाग इन माफियाओं पर कब तक अंकुश लगाता है या फिर जंगलों की यह लूट यूं ही जारी रहेगी।

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