डुगली छांब में दशकों से लंबित सड़क निर्माण की मांग, छह माह में प्रक्रिया शुरू होने का भरोसा: जितेंद्र चंदेल

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बिलासपुर  ग्राम पंचायत रघुनाथपुरा के डुगली छांब क्षेत्र में सड़क निर्माण की मांग पिछले कई वर्षों से लंबित पड़ी है। स्वतंत्रता के बाद से आज तक इस गांव को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है, जिसके चलते ग्रामीणों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों ने अपनी समस्या को हिमुडा निदेशक मंडल सदस्य जितेंद्र चंदेल के समक्ष उठाया। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने से बीमार व्यक्तियों को आज भी पालकी में अस्पताल ले जाना पड़ता है। पीने का पानी सिर पर ढोकर लाना पड़ता है। बच्चों के लिए स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है, जबकि बरसात और गर्मी में हालात और भी विकट हो जाते हैं। इस संबंध में बलदेव, श्यामलाल, छोटाराम, रतनलाल, नंदलाल, सोमा देवी, फूला देवी, सोनी देवी, अंजू देवी, माया देवी, रितु देवी, रवि कुमार, रंजीत, शंकरी देवी, निकुरम, सुरेंद्र कुमार, नरोत्तम कुमार और प्रकाश सहित कई ग्रामीणों ने चंदेल से मुलाकात की। ग्रामवासियों की समस्या सुनने के बाद हिमुडा निदेशक मंडल सदस्य जितेंद्र चंदेल ने आश्वासन दिया कि आने वाले छह महीनों में गांव तक सड़क पहुंचाने की प्रक्...

निजी स्कूलों की मनमानी पर छात्र अभिभावक मंच का बड़ा ऐलान, कानून और रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग



शिमला

 हिमाचल प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच ने मोर्चा खोल दिया है। मंच ने राज्य सरकार से मांग की है कि आगामी विधानसभा सत्र में निजी स्कूलों के संचालन को लेकर कड़ा कानून और रेगुलेटरी कमीशन बनाया जाए, ताकि स्कूलों की मनमानी पर रोक लग सके। मंच ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया तो प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

सरकार पर लगाए लापरवाही के आरोप, चेतावनी – नहीं बना कानून तो होगा बड़ा आंदोलन

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा और सह संयोजक विवेक कश्यप ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा हर साल फीस बढ़ाने, महंगी किताबें और ड्रेस थोपने, एनुअल चार्ज और अन्य शुल्कों के नाम पर अभिभावकों से अवैध वसूली की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में है, इसलिए इस लूट पर आंखें मूंदे हुए है।

"लोगों की आय नहीं बढ़ी, लेकिन फीस दोगुनी हो गई"
छात्र अभिभावक मंच का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में आम जनता की आय में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई, लेकिन निजी स्कूलों ने अपनी फीस दोगुनी कर दी है। किताबें और ड्रेस भी मनमाने दामों पर सिर्फ चुनिंदा दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे यह साफ हो जाता है कि स्कूल प्रबंधन और दुकानदारों के बीच कमीशनखोरी का खेल चल रहा है।



"निजी स्कूलों के पास शिक्षा को व्यापार बनाने की खुली छूट है, और सरकार इस लूट को रोकने के बजाय मूकदर्शक बनी हुई है। इससे साफ है कि सरकार निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में काम कर रही है," विजेंद्र मेहरा ने कहा।



भाजपा सरकार ने की थी पहल, लेकिन दबाव में कानून अटका
छात्र अभिभावक मंच ने खुलासा किया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में अभिभावकों के आंदोलन के कारण कानून बनाने की पहल हुई थी। शिक्षा निदेशालय ने इस मुद्दे पर जनता से सुझाव भी मांगे थे, लेकिन निजी स्कूलों के दबाव में कानून का प्रारूप ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद भी इस विषय पर दो वर्षों से कोई कदम नहीं उठाया गया है।



मांगें पूरी न हुईं तो विधानसभा पर होगा प्रदर्शन
मंच ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार आगामी विधानसभा सत्र में निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए कानून नहीं लाती, तो प्रदेशभर में जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो विधानसभा के बाहर भी आंदोलन होगा।



"हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर अभिभावकों की परेशानियों को अनदेखा किया गया, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। सरकार को हर हाल में कानून बनाना ही होगा," विवेक कश्यप ने कहा।



प्रदेशभर के अभिभावकों में भी इस मुद्दे को लेकर भारी आक्रोश है, और वे जल्द ही छात्र अभिभावक मंच के साथ मिलकर एक बड़े विरोध प्रदर्शन की रणनीति तैयार करने वाले हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।


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