डुगली छांब में दशकों से लंबित सड़क निर्माण की मांग, छह माह में प्रक्रिया शुरू होने का भरोसा: जितेंद्र चंदेल

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बिलासपुर  ग्राम पंचायत रघुनाथपुरा के डुगली छांब क्षेत्र में सड़क निर्माण की मांग पिछले कई वर्षों से लंबित पड़ी है। स्वतंत्रता के बाद से आज तक इस गांव को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है, जिसके चलते ग्रामीणों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों ने अपनी समस्या को हिमुडा निदेशक मंडल सदस्य जितेंद्र चंदेल के समक्ष उठाया। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने से बीमार व्यक्तियों को आज भी पालकी में अस्पताल ले जाना पड़ता है। पीने का पानी सिर पर ढोकर लाना पड़ता है। बच्चों के लिए स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है, जबकि बरसात और गर्मी में हालात और भी विकट हो जाते हैं। इस संबंध में बलदेव, श्यामलाल, छोटाराम, रतनलाल, नंदलाल, सोमा देवी, फूला देवी, सोनी देवी, अंजू देवी, माया देवी, रितु देवी, रवि कुमार, रंजीत, शंकरी देवी, निकुरम, सुरेंद्र कुमार, नरोत्तम कुमार और प्रकाश सहित कई ग्रामीणों ने चंदेल से मुलाकात की। ग्रामवासियों की समस्या सुनने के बाद हिमुडा निदेशक मंडल सदस्य जितेंद्र चंदेल ने आश्वासन दिया कि आने वाले छह महीनों में गांव तक सड़क पहुंचाने की प्रक्...

"मासूमियत का मोल: नवजात शिशु सड़क पर और कूड़े में क्यों?"



बिलासपुर (सुनील ठाकुर)

जिला बिलासपुर में नवजात शिशु मिलने के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। जिला बिलासपुर में आज तक 5 नवजात शिशु मिले, जिसमें से दो नवजात शिशु जीवित मिले थे और तीन नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई थी।



"समाज पर सवाल: सड़क किनारे और कूड़े में मिल रहे नवजात जीवन"
समाज पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस तरह से जिला बिलासपुर में नवजात शिशु मिल रहे हैं। ऐसा लगता है कि लोगों में इंसानियत ही खत्म हो चुकी है। इस तरह से जगह-जगह पर नवजात शिशु मिल रहे हैं तो समाज के लोग कब सुधरेंगे। आम जनता की माने तो लोग कहते हैं कि कलयुग आ गया है । लेकिन लोग अपने आप ही कलयुग की ओर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे ही कुछ मामले पिछले सालों से बिलासपुर में बढ़ते जा रहे हैं। 

पहला मामला जिला बिलासपुर के घुमारवीं क्षेत्र से सामने आया था यह मामला 6 जनवरी 2017 का है जहां पर एक नवजात शिशु को कूड़ेदान में फेंक दिया था। इस नवजात शिशु की कूड़ेदान में दम घुटने से मौत हो गई थी। 
दूसरा मामला जिला बिलासपुर के उपमंडल घुमारवीं के गडीर में 2 अक्तूबर 2021 को सामने आया था। जहां पर एक नवजात शिशु को खेतों में फेंक दिया था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने इसे अस्पताल ले जाया गया । जहां पर डॉक्टर ने से मृतक घोषित कर दिया था। 
तीसरा मामला 18 अगस्त 2024 को घुमारवीं क्षेत्र के नजदीक मीट मार्केट के पास एक नवजात शिशु तेज बारिश के बीच सीमेंट की बोरी में मिला था। जब उसे घुमारवीं अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टर ने इस शिशु को मृतक घोषित कर दिया। 
चौथा मामला थाना बरमाणा में आया था। जहां पर एक नवजात शिशु को पेड़ के नीचे रख दिया था जब स्थानीय लोगों ने बच्चों की आवाज सुनी तो उसे तुरंत क्षेत्रीय अस्पताल लाया गया। जहां पर डॉक्टर द्वारा इसका इलाज किया गया। और यह बच्चा आज भी जीवित हैं। जहां पर स्थानीय लोगों द्वारा इंसानियत दिखाई गई और तुरंत ही इस बच्चे को क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर पहुंचाया गया।
पांचवा मामला जिला बिलासपुर के मलोखर के चडाऊ में सामने आया जहां पर एक नवजात शिशु को गांव में बनी पानी की कुल में फेंक दिया। जैसे ही गांव के लोगों को पता चला उन्होंने तुरंत इस बच्ची को क्षेत्रीय अस्पताल लाया गया जहां पर इसका इलाज चल रहा है।


जिला बिलासपुर में 21-25 तक नवजात शिशुओं की संख्या 5 तक पहुंच गई है जिसमें तीन नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है और दो बच्चे आज भी सुरक्षित हैं। लेकिन एक सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है इस तरह के घिनौने कार्य करने के बाद भी अभी तक पुलिस के हाथ में कोई भी सुराग नहीं लगा है क्या लोगों में कुछ भी इंसानियत नहीं बची है जिस तरह से नवजात शिशुओं को कभी कूड़े के ढेर में, खेतों में, पेड़ के नीचे व सड़क के किनारे फेंक देते हैं। 

एसपी बिलासपुर संदीप धवल में जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक नवजात शिशुओं की संख्या जो बिलासपुर में बढ़ रही है। जिसमें किसी भी नवजात शिशु के मां-बाप का पता नहीं चला है पुलिस अभी भी तलाश कर रही है।
 


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